ॐ
॥ वेदप्रणिहितो धर्मो ह्यधर्मस्तद्विपर्यय: ॥
साधना केन्द्रकी आचार संहिता
- · सप्ताह मे एकबार निश्चित स्थल समय पर एक घंटे के लिए एकत्र होना ।
- · सत्संग या साधना स्थल पर पवित्रता, शांति, मर्यादा और स्वच्छता आवश्यक है ।
- · आरंभ मे पंचायतन देवकी छविका संक्षेप मे पूजन करे । (पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य से )
- · ओंकार के ध्वनि के साथ 2 या 3 मिनिट ध्यान करे ।
- · मंगलाचरण के बाद भगवद्गीता के 12 या 15 वे अध्याय का पारायण करे।
- · धून और भजन कीर्तन करे । (सूरदासजी, तुलसीदासजी, मीराबाई, नरसिंह महेता और ब्रहमानंदजी या इस प्रकारकी रचनाएँ जिसमे भगवाद्गुणानुवाद या भगवान के सगुण या निर्गुण स्वरूपकी स्तुति व महिमा हो । सदाचार व नीति का वर्णन होते हुए भी जिन रचनाओमे वेद, ईश्वर, सगुणोपासना व अवतारवादका खंडन किया गया हो ऐसी अशास्त्रीय रचनाओको भूलकर भी स्थान न दे । )
- · रामायण, महाभारत व भागवातादि पुराण या सनातन धर्मका कोई भी साहित्य पढ़कर सुनावे । पूज्यश्रीके प्रवचनोकी audio/ video CDs/DVDs का उपयोग करे या कोई अधिकारी साधक हो तो यथावकाश पूज्यश्रीके साहित्यका पठन करे, अवैदिक साहित्यको कभी भी स्थान न दे ।
- · आरती और प्रसाद ।
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