Tuesday 31 May 2016

Swami Shree Sadanand Saraswati





 
॥ वेदप्रणिहितो धर्मो ह्यधर्मस्तद्विपर्यय: ॥






Video Highlights , Swamiji's Visit To Vadodara - Dec,2014

Video Cr.

Guided By,

Dr. Gargi Pandit

Edited By,

Mehul



Courtesy : श्री सनातन वैदिक धर्मानुरागी ट्रस्ट , वाटोदरम्


Sunday 8 May 2016

 
॥ वेदप्रणिहितो धर्मो ह्यधर्मस्तद्विपर्यय: ॥



 
साधना केन्द्रकी आचार संहिता
  • ·         सप्ताह मे एकबार निश्चित स्थल समय पर एक घंटे के लिए एकत्र होना ।
  • ·         सत्संग या साधना स्थल पर पवित्रता, शांति, मर्यादा और स्वच्छता आवश्यक है ।
  • ·         आरंभ मे पंचायतन देवकी छविका संक्षेप मे पूजन करे । (पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य से )
  • ·         ओंकार के ध्वनि के साथ 2 या 3 मिनिट ध्यान करे ।
  • ·          मंगलाचरण के बाद भगवद्गीता के 12 या 15 वे अध्याय का पारायण करे।  
  • ·     धून और भजन कीर्तन करे । (सूरदासजी, तुलसीदासजी, मीराबाई, नरसिंह महेता और ब्रहमानंदजी या इस प्रकारकी रचनाएँ जिसमे भगवाद्गुणानुवाद या भगवान के सगुण या निर्गुण स्वरूपकी स्तुति व महिमा हो । सदाचार व नीति का वर्णन होते हुए भी जिन रचनाओमे वेद, ईश्वर, सगुणोपासना व अवतारवादका खंडन किया गया हो ऐसी अशास्त्रीय रचनाओको भूलकर भी स्थान न दे । )
  • ·       रामायण, महाभारत व भागवातादि पुराण या सनातन धर्मका कोई भी साहित्य पढ़कर सुनावे । पूज्यश्रीके प्रवचनोकी audio/ video CDs/DVDs का उपयोग करे या कोई अधिकारी साधक हो तो यथावकाश पूज्यश्रीके साहित्यका पठन करे, अवैदिक साहित्यको कभी भी स्थान न दे ।
  • ·        आरती और प्रसाद ।  

 

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॥ वेदप्रणिहितो धर्मो ह्यधर्मस्तद्विपर्यय: ॥




    आदि शंकराचार्यकी जन्मजयंती महोत्सव पर इस बार भगवान शंकराचार्य रचित भज गोविंदम् के निम्न श्लोको पर चिंतन किया जाएगा। आज वैदिक धर्म जीवित है तो केवल आचार्यश्रीकी कृपा के कारण ही । हम आज अपने आप को हिन्दू कह सकते है क्योकि अवैदिक एवं पाखंड मतो की आँधी के सामने आचार्यश्री ने धर्मकी रक्षा की । भगवान वेदव्यास और आचार्य शंकरके लिए अपन रक्त बहा दे, और प्राणोको न्योछावर कर दे, तो भी कम है । कम से कम उनकी जन्मजयंती पर उनके पूजनसे और उनकी रचनाओका गुणानुवाद करके अपने हिन्दू होनेका प्रमाण दे ।

सुखतः क्रियते रामाभोगः पश्चाद्धन्त शरीरे रोगः ।
यद्यपि लोके मरणं शरणं तदपि न मुञ्चति पापाचरणम् ॥  

He who yields to lust for pleasure leaves his body a prey to have
Disease . Though death brings an end to everything, man does not
give up the sinful path.


यावत्पवनो निवसति देहे तावत्पृच्छति कुशलं गेहे ।
गतवति वायौ देहापाये भार्या बिभ्यति तस्मिन्काये ॥ 

When one is alive, his family members enquire kindly about his
welfare. But when the soul departs from the body, even his wife
runs away in fear of the corpse.
 
 
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Saturday 7 May 2016


॥ वेदप्रणिहितो धर्मो ह्यधर्मस्तद्विपर्यय: ॥
 
 
प्रतिज्ञा
  •      श्रुति-स्मृति एवं इतिहास-पुराणेषु सम्पूर्ण श्रद्धांविता: वयं समस्त वैदिकसंप्रदायान् सम्मान्यंतोsपि चित्तम सांप्रदायिकताया: परे निधाय साक्षात्कारार्थम् प्रयत्नशीला: भवेम ।
  •      श्रुति-स्मृति एवं इतिहास,पुराणेमे सम्पूर्ण श्रद्धाको रखानेवाले हम सभी वैदिक संप्रदायोका  सम्मान करते हुए, चित्तको सांप्रदायिकतासे परे रखकर साक्षात्काराके लिए प्रयत्नशील रहेंगे । 


 
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॥ वेदप्रणिहितो धर्मो ह्यधर्मस्तद्विपर्यय: ॥
 
श्री सनातन वैदिक धर्मानुरागी ट्रस्ट , वटोदरम् 


 संस्था के हेतु 

  • ·        ब्राह्मणत्व की रक्षा करना ।
  • ·        वेद एवं वेदार्थ सार-संग्रह साहित्य का प्रकाशन करने लुप्तप्रायः वेद विज्ञानको विश्वकल्याण हेतु प्रगट करना ।
  • ·        अद्यतन साधन-व्यवहारका करने हेतु वैदिक पध्धति से शिक्षणका प्रचार-प्रसार करना ।
  • ·        राष्ट्र की एकता एवं अखंडितताके लिए तन-मन-धन से समर्पित होना ।
  • ·        समय-शक्ति एवं आवश्यक्ता अनुसार “ इष्टापूर्त “ ( यज्ञयागादि / सामाजिक ) कार्यो के लिए अस्थायी समिति बनाकर कार्य समाप्ति होते ही समिति का विसर्जन करना ।
  • ·        साधको के लिए अधिकार भेद से शिबिर इत्यादि का आयोजन करना ।
  • ·        वैदिक समाजवादके आधार पर जन-समुदाय के हित में तत्पर रहकर विश्वकल्याणके लिए प्रयत्न करना ।
  • ·        अहिंसा को शिरोमान्य करके भगवान श्रीराम और श्री कृष्ण के मार्ग पर चलकर, धर्म संस्कृति और राष्ट्रके रक्षणके लिए तत्पर रहना ।
  • ·        पंचायतन पूजा की पुनः स्थापना करके सांप्रदायिक संघर्षो को दूर करना ।

ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्या जीवो ब्रह्मैव नापरः।
श्र्लोकार्धेन प्रवक्ष्यामि यदुक्तंग्रन्थ कोटिभिः ॥



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